वर्षों पहले पाया जन्म, नाजों से गई मैं पाली हूं, परिवर्तन का हुआ समय, अब मैं जीवन देने वाली हूं’। इन पंक्तियों के साथ गर्भवती की सेवा का संकल्प और शिशु के जन्म तक उसकी देखभाल का संकल्प लिया है उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कैंपस ऋषिकुल की टीम ने। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से गर्भवती महिलाओं की देखरेख सुप्रजा योजना के तहत की जाएगी। इसमें गर्भवती के आहार विहार और उसके योग की मुद्राओं की विधिवत जानकारी दी जाएगी। इसमें सबसे कारगर सुप्रजा किट साबित होगा। इसमें न केवल गर्भवती के लिए आवश्यक औषधियां हाेंगी, बल्कि शिशु की सेहत के लिए आवश्यक पोषक तत्व देने वाले तमाम गुणकारी जड़ी-बूटी भी शामिल होंगी। बता दें कि स्त्री एवं प्रसूति तंत्र ऋषिकुल परिसर की टीम की पहल है कि अस्पताल में गर्भवती की देखभाल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से की जाए। इसके लिए विभाग जूनियर डॉक्टरों की एक टीम तैयार की है। सुप्रजा कार्यक्रम के तहत यह टीम गर्भवती को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति द्वारा गर्भस्थ शिशु के संपूर्ण विकास की निगरानी करेंगी।
वहीं गर्भावस्था की जटिलताओं से बचाव के साथ आयुर्वेद पद्धति से प्रसव को सामान्य एवं सुगम बनाने का कार्य भी करेंगी। गर्भस्थ शिशु के उचित शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए किट के प्रयोग के साथ ही उचित आहार-विहार और योग की विभिन्न मुद्राओं की भी जानकारी दी जाएगी। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के परिसर ऋषिकुल में चिकित्सालय की ओपीडी में पंजीकरण के बाद गर्भवती को सुप्रजा योजना के तहत लाभ मिलेगा। गर्भवती और पल रहे शिशु के संपूर्ण विकास के लिए सुप्रजा चूर्ण, तेल एवं वटी दी जाएगी। इसके अलावा गर्भ संस्कार, प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में आयुर्वेदिक गर्भस्थापक औषधियों का प्रयोग कराया जाएगा। गर्भावस्था में जटिलताओं की जानकारी एवं उचित परामर्श के लिए सुप्रजा कार्ड भी गर्भवती को दिया जाएगा। पहले, दूसरे एवं तीसरे महीने में बार-बार उचित मात्रा में गाय के दूध के सेवन आदि के बारे में भी जानकारी टीम देगी।