हरिद्वार की बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी समेत अन्य लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। वित्तीय अनियमितता मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है। साथ ही कहा कि इस मामले में सरकार का जवाब आना अति आवश्यक है। पूरा मामला जिला पंचायत का करोड़ों रुपए वापस न करने से जुड़ा है।
हरिद्वार की बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी समेत तीन अन्य लोगों की ओर से जिला पंचायत का करोड़ों रुपए का भुगतान नहीं करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से दो हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का शपथ पत्र आना जरूरी है.गौर हो कि हरिद्वार जिले के मंगलौर के अमित कुमार ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि बर्खास्त हरिद्वार जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी, कुसुम, विजयपाल और मोहम्मद ताहिर ने अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने जिला पंचायत हरिद्वार में करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितताएं की. जिसकी जांच गढ़वाल कमिश्नर की ओर से की गई, जो सही पाई गई। आरोप सही पाए जाने के बाद सविता चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया। इतना ही नहीं सविता चौधरी के 5 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके अलावा जिपं अध्यक्ष सविता चौधरी से 6 करोड़ 8 लाख 37 हजार 676 रुपए वसूलने के आदेश दिए। वहीं कुसुम, विजयपाल और मोहम्मद ताहिर पर 3 करोड़ 34 लाख 72 हजार 178 रुपए वसूलने के आदेश दिए. जो अभी तक जिला प्रशासन की ओर से नहीं वसूला गया। याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि उनसे उक्त धनराशि वसूली जाए और इनके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। क्योंकि इन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। मामले में आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अभी तक राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश नहीं किया है। जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।