उत्तराखंड की पहाड़ी सड़कों पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। सड़क हादसों को लेकर हर बार अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं। इसके बाद भी हादसों की असल वजह कई बार सामने नहीं आती। पहाड़ों पर टैक्सी, मैक्सी और मिनी बस लोगों के आवागमन के साधन हैं। इन वाहनों को चलाने वाले चालक प्राइवेट लाइसेंस पर वाहन चलाते हैं। प्राइवेट लाइसेंस पर वाहन चलाने का मुख्य कारण यह है कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने 7.5 टन तक के वाहनों को चलाने के कमर्शियल लाइसेंस की अनिवार्यता खत्म कर दी है। जिसका नतीजा है कि पहाड़ों पर चलने वाली टैक्सी, मैक्सी और छोटी बसों के चालक अपने निजी लाइसेंस पर सड़कों पर वाहन दौड़ाते हैं जो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ है।
जानकारों की मानें तो कुछ साल पहले तक किसी भी कमर्शियल वाहन को चलाने के लिए चालक के पास कमर्शियल वैध लाइसेंस होता था। चालक को 1 साल तक प्राइवेट लाइसेंस का वाहन चलाना सीखना होता था। जिसके बाद 1 साल बाद एक महीने की कमर्शियल वाहन चलाने की ट्रेनिंग के बाद कमर्शियल वाहन चलाने का लाइसेंस जारी किया जाता था। लेकिन सड़क परिवहन मंत्रालय ने 7.5 टन तक के सभी प्रकार के वाहनों को चलाने के कमर्शियल लाइसेंस की अनिवार्यता खत्म कर दी। पूर्व में कमर्शियल वाहनों को चलाने के लिए लाइसेंस जारी होने के दौरान ड्राइवर को ट्रेनिंग के साथ-साथ सड़क सुरक्षा के जरूरी नियम और जिम्मेदारियां समझाई जाती थी। ऐसे में अब सरकार को पुनर्विचार करने की जरूरत है जिससे कि टैक्सी, गाड़ियां चलाने वाले चालकों को अच्छी ट्रेनिंग के साथ उनका कमर्शियल लाइसेंस जारी किया जाये, जिससे सड़क हादसों पर लगाम लगाई जा सके। इसके अलावा रोड इंजीनियरिंग भी सड़क हादसों का मुख्य कारण है। सड़क निर्माण के दौरान सड़क कैसी बनाई गई है? उस पर सेफ्टी के मानक क्या हैं? इसके अलावा सड़क पर चलने वाले चालक को रोड गाइड करते हुए जायें जिससे कि सड़क हादसे काम हो सकें। इसके अलावा रोड पर चलने वाली गाड़ियों की फिटनेस और उसका परमिट और टैक्स इंश्योरेंस सभी तरह से ठीक है या नहीं? ये भी हादसों को कम करने में कारगर साबित होता है।