हरिद्वार। आज यहां पंतजलि विश्वविद्यालय में प्रथम दीक्षा समारोह चल रहा है। इस समारोह मंे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सम्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि यहां आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। कहा कि अप्रैल के महीने में उनका पतंजलि आगमन कार्यक्रम बना था लेकिन कोविड-19 के चलते वह यहां नहीं पहुंच पाए। एक अच्छा कार्य जो अधूरा रह गया था, वो आज पूरा हो रहा है। वह भी स्वस्थ और उत्साह भरे वातावरण में। इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि देवभूमि में आना हर किसी के लिए सौभाग्य की बात होती है। हरिद्वार का भारतीय परंपरा में विशेष स्थान रहा है। हरिद्वार को हरद्वार भी बोलते हैं अर्थात भगवान विष्णु और भोले शंकर की पावन स्थली का प्रवेश द्वार। राष्ट्रपति ने कहा कि यहां शिक्षा का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है। इससे पूर्व यहां पहुंचने पर राज्यपाल सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति का जोरदार स्वागत किया। राष्ट्रपति कोविन्द ने योग की लोकप्रियता को बढ़ाने में योग गुरु बाबा रामदेव के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज योग से अनगिनत लोगों को फायदा पहुंचा है। उनका कहना है कि पहले योग को तपस्या माना जाता था। यह संन्यासी और साधु-संतों तक ही सीमित था, लेकिन आज योग गुरु बाबा रामदेव ने योग की परिभाषा को बदल कर रख दिया है। राष्ट्रपति ने कहा, सभी देशवासियों ने कोरोना विश्वव्यापी महामारी की चुनौतियों का सामना किया। आज देश में विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में चल रहा है। उन्होंने प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की अपेक्षा की। कहा कि आज पतंजलि में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए एक विशेष सेल का गठन किया है। उम्मीद है कि भविष्य में विदेशी छात्रों की संख्या में और वृद्धि होगी। इसके जरिए भारतीय मूल्यों और संस्कारों का प्रचार प्रसार होगा। 21वीं सदी के भारत निर्माण में पतंजलि का योगदान सराहनीय होगा। उन्होंने दीक्षा समारोह में सम्मानित होने वाले छात्र-छात्राओं में छात्राओं की संख्या 60 प्रतिशत होने पर प्रसन्नता जताई। कहा, पतंजलि शिक्षण संस्थानों में बेटियों की ज्यादा संख्या हर्ष की बात है।