उत्तराखंड में आज सेल ब्रॉडकास्टिंग अर्ली वार्निंग टेक्नोलॉजी का मॉक ड्रिल किया जा रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार सेल ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम आज की तारीख में पूरी दुनिया में अर्ली मॉर्निंग सिस्टम के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आधुनिक तकनीक है। सेल ब्रॉडकास्टिंग आपदा प्रबंधन और टेलीफोन कंपनियों के आपसी सामंजस्य द्वारा चलाया जाने वाला एक ज्वाइंट ऑपरेशन है। इसमें आपातकालीन स्थिति में सभी टेलीफोन कंपनियां आपदा प्रबंधन से मिले इनपुट के आधार पर एक ऐसा अलर्ट सभी के मोबाइल फोन में जारी करती हैं जो कि इस दौरान मोबाइल में चलने वाली सभी तरह की एप्लीकेशन कॉल और किसी भी तरह की गतिविधि को ओवरटेक कर लेती हैं। यह अलर्ट सबसे ऊपर यूजर्स को सुनाई और दिखाई देता है।
इस टेक्नोलॉजी में कई तरह के कस्टमाइजेशन संभव है। जिसमें खासतौर से मौसमी आपदाओं में यह कई देशों में कारगार साबित हो रही है। अन्य तरह की आपदाओं के अलर्ट के लिए भी लगातार इसे विकसित किया जा रहा है। एक्सपर्ट के अनुसार सेल ब्रॉडकास्टिंग के दौरान अलर्ट मैसेज पूरे मोबाइल को टेकओवर कर लेता है और कस्टमाइजेशन से इसको इस हद तक कारगार साबित किया जा सकता है कि इस अलर्ट को यूजर को प्राप्त होने तक सुनिश्चित किया जा सके। यानी कि आपातकालीन स्थिति में यूजर्स के फोन पर आने वाले इस अलर्ट मैसेज को इतना प्रभावित किया जा सकता है कि यह तब तक बजता रहेगा जब तक यूजर खुद इसे देखकर सुनिश्चित न कर ले। प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने को लेकर लगातार हर सरकार द्वारा कुछ ना कुछ योगदान किया गया है। साल 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में एक अच्छा परिवर्तन देखने को मिला है। उत्तराखंड में तकनीकी से जुड़े सभी पहलुओं पर लगातार काम किया जा रहा है। इसी के चलते पिछले कुछ सालों से अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को लेकर भी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगातार दुनिया भर के बेहतर विकल्पों को उत्तराखंड में लाने की दिशा में काम कर रहा है।