एक निजी विश्वविद्यालय में 6वें वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। 28 नवंबर से एक दिसंबर तक आयोजित इस सम्मेलन में 50 देशों के वैज्ञानिकों के साथ ही देश के तमाम संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हुए हैं। इस सम्मेलन में मुख्य रूप में डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर भविष्य की चुनौतियों को लेकर चर्चा की जाएगी।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि यह सम्मेलन, डिजास्टर मैनेजमेंट में नई दिशा दिखाएगा। जब आपदा आती है, तो उसका महिलाओं और बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस पर भी वैज्ञानिक इस सम्मेलन में चर्चा करेंगे क्योंकि कि जब भी आपदा आती है तो अंतिम छोर में रह रहे व्यक्ति पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी के साथ इकोलॉजी को बैलेंस करने की जरूरत है क्योंकि जब आपदा नहीं आएगी तो शांति रहेगी और जब शांति रहेगी तो प्रगति आएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों से प्रतिनिधियों के साथ देश के तमाम संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हुए हैं। इस सम्मेलन में देश और विदेशों से आए वैज्ञानिक अपने-अपने अध्ययन को रखेंगे और तमाम विषयों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें खाने पीने की चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं। सीएम धामी ने कहा कि टनल निर्माण से जुड़े तमाम वैज्ञानिक और जानकार वहां मौजूद हैं। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी भी सिलक्यारा टनल में चल रहे राहत बचाव कार्यों का अपडेट ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने पर जोर दिया जा रहा है। जल्द ही इस संकट से निजात मिलेगी। सीएम ने कहा कि विश्व की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जिस तरह से आपदाएं लगातार घटित हो रही हैं। ऐसे में आपदा सम्मेलन का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील हो जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य में जो प्राकृतिक आपदाएं है उस दृष्टि से यह अत्यंत संवेदनशील प्रदेश है। जिससे प्रत्येक वर्ष किसी न किसी आपदा से प्रदेश को सामना करना पड़ता है।