सेना के कैप्टन की मौत के मामले में आरोपित कैंटर चालक की तलाश में पुलिस दिल्ली पहुंच गई है। उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। बता दें कि बीते मंगलवार को देर रात वीवीआइपी राजभवन मार्ग पर हाथीबड़कला में सेंट्रियो माल के बाहर बेतरतीब खड़े कैंटर (ट्रक) के कारण सेना के कैप्टन की मौत हो गई थी। वह मूल रूप से गोमती नगर लखनऊ के थे और देहरादून में क्लेमेनटाउन स्थित 205 इंजीनियर रेजीमेंट में तैनात थे।
बुधवार को 201 इंजीनियर रेजीमेंट क्लेमेनटाउन के मेजर असीम समौता की तहरीर पर आरोपित चालक के विरुद्ध शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने मानव जीवन को खतरे में डालने, जल्दबाजी में वाहन चलाने और गलत ढंग से वाहन खड़ा कर मौत का कारण बनने की धाराओं में मुकदमा किया है। तहरीर में उन्होंने बताया कि कैप्टन सृजन पांडे निवासी गोमती नगर लखनऊ उत्तर प्रदेश 205 इंजीनियर रेजीमेंट क्लेमेनटाउन में तैनात थे। 10 अक्टूबर को वह अपने दोस्त फ्लाइंग आफिसर वायुसेना सिद्धार्थ मेनन के साथ कार से गढ़ी कैंट से दिलाराम चौक की तरफ जा रहे थे। वह सेंट्रियों माल में रुके और वहां पर खाना खाया। इसी दौरान माल के एंट्री गेट पर गलत ढंग से खड़े कैंटर से उनकी कार टकरा गई। इस दौरान कैप्टन सृजन पांडे गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई जबकि हादसे में फ्लाइंग आफिसर सिद्धार्थ मेनन भी घायल हो गए थे। सड़क दुर्घटना में थल सेना के कैप्टन की मौत के बाद परिवहन विभाग की तकनीकी टीम ने बीती गुरुवार सुबह दुर्घटनास्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान पाया गया कि सेंट्रियो माल के बाहर का स्थल दुर्घटना के लिहाज से काफी संवेदनशील हो गया है। मार्ग की खामियों, माल की प्रवेश व निकासी की व्यवस्था की टीम ने बारीकी से जांच-पड़ताल की। टीम ने सुधार के सुझाव के साथ अपनी रिपोर्ट सड़क सुरक्षा समिति को भेज दी है।
बता दें कि, दैनिक जागरण ने गुरुवार के अंक में दुर्घटनास्थल को लेकर सवाल खड़े करते हुए खबर प्रकाशित की थी। इसी का संज्ञान लेकर परिवहन मुख्यालय ने टीम को निरीक्षण के निर्देश दिए गए थे। तकनीकी टीम में शामिल आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी व एआरटीओ (प्रवर्तन) राजेंद्र विराटिया ने जांच के दौरान हाथीबकड़ला पुलिस चौकी से दिलाराम तिराहे तक के दुर्घटना संभावित क्षेत्र की पड़ताल की। आरटीओ तिवारी ने बताया कि कैंटर सेंट्रियो माल में प्रवेश कर रहा था, जिससे उसका पिछला हिस्सा तिरछा था और विपरीत दिशा में था। कार का दाहिना हिस्सा कैंटर के पिछले हिस्से में जा टकराया। वहां पथ-प्रकाश की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।