हरिद्वार। नाबालिग का अपहरण करने के बाद दुष्कर्म और हत्या के मामले में अदालत ने मुख्य आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। वहीं सह अभियुक्त को साक्ष्य छिपाने का दोषी करार देते हुए पांच साल की कैद और एक लाख रूपए जुर्माने की सजा सुनाई गयी है। वहीं मुख्य आरोपी को एक लाख 30 हजार रूपए अर्थदण्ड अदा करने को भी कहा गया है। वहीं इस मामले में तीसरे अभियुक्त को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। तीनों ही मूल रूप से सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश निवासी हैं। सजा पाने वाले अभियुक्त मामा-भांजा हैं। जानकारी के अनुसार अनुसार 20 दिसंबर, 2020 को नौ वर्षीय बालिका अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रही थी। इसी दौरान ऋषिकुल कालोनी में रह रहे रामतीर्थ यादव ने पतंग दिलाने के बहाने उसे अपने घर बुलाया। मां को यह बात बताकर बच्ची घर से निकली, लेकिन उसके बाद लौटी नहीं। कुछ देर बाद बच्ची का शव पास की कालोनी में रामतीर्थ यादव के मामा राजीव के मकान की छत पर बने गोदाम में सामान के बीच पड़ा मिला। बच्ची की दुष्कर्म के बाद रस्सी से गला घोंट कर हत्या की गई थी। बच्ची के पिता की तहरीर पर पुलिस ने रामतीर्थ यादव, उसके मामा राजीव कुमार और उनकी दुकान पर काम करने वाले कर्मचारी गंभीर चंद उर्फ गौरव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।